Sunday, May 10, 2009

Train to Bombay - Part 2

इससे पहले की ट्रेन चलती, हम लोग भागे और मेरे वाले कोच में ही चढ़ गए. सीट क्योंकि अल्लोकैते नहीं हुई थी, दिनु और अजय भी मेरे साथ ही बैठ गए. लोगों ने हल्ला किया की एक सीट है और तुम तीन, तो हम भी चोद्दे हो गए. टिकट दिखा दिए और बोले की टीटी सब देख लेगा, आपको क्या.

जब टीटी आया, टिकट उसके आगे कर दिए और पुचा की बता भाई हमारी सीटें कहाँ है. जोरदार झटका लगा जब उसने बताया की वो बस टिकट हैं, आरक्षण नहीं, और उसे किसी भी एजेंट ने संपर्क नहीं किया है. साथ ही बोल दिया की अगले स्टेशन पर उतर जाना. पैरों के निचे ज़मीन खिसक गयी ये नो नहीं बोल सकते क्योंकि ट्रेन चलने की वजह से वो तो हो ही रहा था पर दिल बैठ गए. फिर एक्स्पिरेड स्टुडेंट ईद कार्ड्स निकाल कर दिखाए और पूरी कहानी सुनाई. कहानी से हमदर्दी तो मिली लेकिन सीट्स नहीं. हाँ टीटी ने इतना जरूर कहे दिया की उसी डब्बे में बैठ सकते हो. भागते भूत की लंगोटी ही सही.

सोने का समय आया तो एक खाली बर्थ देख कर वोह अजय ने ले ली, और दिनु पूरी तरह चादर ओढ़ कर मेरी सीट पर मेरे पीछे लेट गया, यह सोच कर की कोई उसको देख नहीं पायेगा. लेकिन टीटी कोई कल ही पैदा नहीं हुए. दिनु के मोटे शारीर के बाद थोडी बहुत जगह में मैं सोया ही था की अचानक किसी ने इस तरह झिंझोडा जैसे आदमी नहीं डंगर हो. देखा वोही टीटी की उनिफोर्म है लेकिन आदमी दूसरा. पुराने टीटी ने तो साइन ऑफ कर दिया था और शायद उसने नए वाले को बता दिया था की भाई गंगा पूरी तरह भय रही है तू भी नहा ले. बदमाश ने एक मिनट की देरी नहीं लहै हमें ढूडने में. और खतरनाक नजरों से घूरते हुए सीधा इल्लीगल बता दिया और अगले स्टेशन पर उतरने को बोल दिया. हमने पूरी कहानी फिर से सुनाई, लेकिन वोह सब तो उसे पहले ही पता था. जब कुछ बात नहीं बनी, तो फिर से एक्स्पिरेड ईद कार्ड्स दिखाए और दिस्कोउन्तेद घूस देकर उसे भी खुश किया.

इतनी बार लुटने के बाद अब कुछ भी शोककिंग नहीं लग रहा था. मुंबई ज्यादा दूर नहीं था. डब्बे की मंद पिली रौशनी में तीनों बैठ गए और पहली बार पसर की नींद में उंघते हुए लोगों के बीच वातावरण की शांति को महसूस किया. जब आदमी सबसे बुरे वक़्त से निकल ज्ञाता है, तो और कोई भी सोच या दर उसे हिला नहीं पाती और एक असीम शांति का अनुभव होता है. शायद ये वोही शांति थी. उसके बाद बिना और किसी घटना के हम लोग सही सलामत मुंबई सेन्ट्रल पहुँच गए और रहत की सांस ली.

2 comments:

Drawat said...

It was really obscene situation at that time, three highly educayed guys getting left right and centre.Ajay showed remarkable sleeping qualities.

nice write up.

mayank sharma said...

again stuck in train with Dinu.